हमारी ज़िन्दगी कई तरह के अंधेरों से घिरी हुई है और इन मुश़्किलों में रौशनी दिखाती मेरी ये ग़ज़ल.....
गुमराही से इतर सीधी राह लेकर चलना,
गहरा है तमस हर तरफ थाह लेकर चलना।
छुपकर मिलते हैं लोग झूठे लिबासों में,
आँखों में भेदी निगाह लेकर चलना।
देखना किसी मज़लूम का आशियाना न ढले।
गर दबी जो दिल में आह लेकर चलना।
ढह जाती है चहारदीवारी भी छतों समेत,
यारों ख़ुदा के घर में पनाह लेकर चलना।
राहुल कु. "सक्षम"
Gajal bahut achi likhi hai
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंnice
जवाब देंहटाएं